Friday, February 6, 2009

राष्ट्र्भाषा गान

आचार्य संदीप कुमार त्यागी "दीप"

जय जय हृदय हुलासिनी हिंदी
विश्वविकासिनीभाषा
अभिलाषा अखिल राष्ट्र भारत की
नित्यनवलपरिभाषा
कल्याणि! वाणी नव आशा
जननि! जन्मभूभाषा।
तव स्वाध्याय से जागें
सब उन्नति पथ लागें
गायें तव गुणगाथा
जन गण मन उल्लासिनीहिंदी
सरल सुभाषिणी भाषा
जय हे! जय हे! जय हे!
जय जय जय जय हे!!

1 comment:

  1. अति सुंदर रचना है।
    बधाई आप को।
    ~जयंत

    ReplyDelete